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चार दिन हो चुके थे, वैराग्य अभी भी नोनस्टोप नैना की पुसी को खा रहा था, उसके होंठ बड़ी शिद्दत से, जूनून से , पागलपन की हद्द से पार, बहुत जल्दी - जल्दी नैना की पुसी पर चले जा रहे थे !

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चार दिन हो चुके थे, वैराग्य अभी भी नोनस्टोप नैना की पुसी को खा रहा था, उसके होंठ बड़ी शिद्दत से, जूनून से , पागलपन की हद्द से पार, बहुत जल्दी - जल्दी नैना की पुसी पर चले जा रहे थे !
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